अमेरिका एक फैसले के बाद अब लोन हो जाएगा सस्ता लेकिन इन सेक्टर में तेजी

Federal Reserve Rate Cut : अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने आखिरकार ब्याज दरों में कटौती कर दी है। यह साल की पहली कटौती है और इसे लेकर दुनियाभर के बाजारों की नजरें टिकी हुई थीं। फेड ने 25 बेसिस प्वाइंट्स यानी 0.25% की कटौती की है। अब नई दरें 4.0% से 4.25% के बीच हो गई हैं, जबकि पहले यह 4.25% से 4.50% थीं।

दरअसल, अमेरिकी नौकरी बाजार में कमजोरी साफ नजर आ रही थी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी लगातार दबाव बना रहे थे कि लोन सस्ते किए जाएं। ट्रंप ने इस दिशा में स्टीफन मिरान जैसे करीबी लोगों को फेड में नियुक्त कर अपनी मंशा साफ कर दी थी। दिसंबर 2024 के बाद यह पहली बार है जब फेड ने रेट घटाए हैं।

महंगाई पर काबू की कोशिश के बाद बदलाव

महंगाई पर काबू पाने के लिए मार्च 2022 से जुलाई 2023 तक फेड ने 11 बार दरें बढ़ाई थीं। लेकिन अब आंकड़े बताते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था उतनी मजबूत नहीं है जितनी पहले समझी जा रही थी। यही वजह है कि अब कटौती शुरू हुई है। माना जा रहा है कि इस साल तीन बार और रेट कट हो सकते हैं। हालांकि विशेषज्ञ इस बात पर बंटे हुए हैं कि अगली बार अक्टूबर में कटौती होगी या दिसंबर में।

आम लोगों और कंपनियों पर असर

रेट कट का सीधा असर कर्ज लेने वालों पर पड़ेगा। होम लोन, कार लोन, स्टूडेंट लोन और क्रेडिट कार्ड पर ब्याज अब कम देना होगा। धीरे-धीरे लोगों को EMI का बोझ हल्का महसूस होगा। लेकिन इसका एक नकारात्मक पहलू भी है—बचत खातों और एफडी पर मिलने वाला ब्याज घट सकता है। साथ ही, नौकरी बाजार में और सुस्ती आ सकती है क्योंकि कंपनियां निवेश को लेकर सावधान रुख अपना सकती हैं।

भारतीय शेयर बाजार को मिलेगी ताकत

फेड का यह फैसला भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए राहत भरा हो सकता है। अमेरिका में कर्ज सस्ता होगा तो विदेशी निवेशक बेहतर रिटर्न के लिए भारत का रुख करेंगे। एफआईआई (Foreign Institutional Investors) की बढ़ती भागीदारी से भारतीय शेयर बाजार में तेजी आ सकती है।

सोने में नई चमक

सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है। ब्याज दरों में कटौती से इसकी मांग और बढ़ जाएगी। पहले से ही सोना महंगा है और अब इसमें और उछाल देखने को मिल सकता है। निवेशक जब भी अनिश्चित माहौल देखते हैं, वे सोने की ओर रुख करते हैं। यही कारण है कि आने वाले दिनों में सोने की कीमतों में और तेजी संभव है।

भारतीय रिजर्व बैंक पर दबाव

अब दबाव भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर भी बढ़ेगा। अगर आरबीआई भी दरों में कटौती करता है तो भारत में लोन लेना और आसान हो जाएगा, लेकिन एफडी जैसी स्कीम पर रिटर्न घटेंगे। वहीं, डॉलर कमजोर होने पर रुपया मजबूत हो सकता है। इससे भारत को आयात में फायदा मिलेगा लेकिन निर्यातकों के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है।

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